।।दिल चाहता है।।

सितम्बर में आये एक और ख़ास दिन हिंदी दिवस के लिए मेरी कुछ पंक्तियाँ हिंदी में
दिल चाहता है ।
फिर से एक बार बचपन में चले जाये
की है जो गलतियां उसे पूरा न सही पर कुछ तो सुधार आये
बहुत सी थी बातें जिसे अनदेखा कर आये
बहुत से थे मौके जिसे अनजाने में गवां आये
दिल चाहता है
माँ बाप का साथ हर पल का फिर से मिल जाये
बस एक बार उन दिनों में जाकर उनके साथ की कीमत समझ आये
सोचा भी ना था उस घर को कभी छोड़ना भी होगा
जहाँ के हर कोने में मेरा बसेरा था उस घर से मीलों दूर कभी रहना भी होगा
मौसम बदलते है नयी रुत भी आती है
घड़ी तो अब भी वही है मेरे पास, पर वो वक़्त नया बतलाती है
बड़े होकर ये करेंगे बड़े होकर वो करेंगे इस आपा -थापी में बचपन से नाइंसाफी कर आये
उस बेशकीमती शाम के सूरज के ढलने पर हम होश में आये
बस कर लिया है वादा खुद से, अपना हर पल पूरी शिद्दत से जी जायेंगे
वक़्त को तो ना सही पर यादों को मीठा बना कैद कर जायेंगे
हो आखिरी यही सवेरा या अनगिनत हो सूरज बाकी
ज़िन्दगी तो अब कुछ भी हो, ज़िंदादिली से ही जी के जायेंगे।
#MyFriendAlexa!!
I am taking my blog to the next level with Blogchatter’s #MyFriendAlexa.
So true. Value of moment is realized after it’s gone. Wish to rectify errors and live the moments with parents more mindfully. Very well written and touched every chord.
This innocent heart desires for so many things! Beautiful poem. 🙂
Thank you Disha!